यज्ञ कराने होता है पर्यावरण की शुद्धि संत मुरारी दास।
पडौली में चल रहे सत चंडी महायज्ञ के दौरान कही
पडौली में चल रहे प्राण प्रतिष्ठात्मक सत चंडी महायज्ञ के यज्ञाध्यक्ष संत मुरारी दास त्यागी ने यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा की हवन या यज्ञ एक ऐसी प्रथा है जो लगभग हर भारतीयो के घर में होती है। हालांकि इसके धार्मिक महत्व के अलावा बहुत से लोग नहीं जानते कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। आज के समय में जहां हर कोई शारीरिक, मानसिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं बहुत से लोग मन की शांति पाने के लिए भटकते नजर आते हैं। जबकि बहुत सी चीजें जैसे कि स्वस्थ भोजन की आदतें, योग, फिजिकल एक्टिविटी और स्वस्थ जीवनशैली भी स्वस्थ जीवन के लिए बहुत मददगार हो सकती हैं। इसके अलावा एक अन्य विकल्प यज्ञ भी हो सकता है। यज्ञ के दौरान मंत्रों का उच्चारण एक कंपन उत्पन्न करता है। इससे एक सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। यज्ञ में कई तरह के पौधों का प्रयोग होता है। जिससे जड़ी बूटियों की तरफ लोगो का आकर्षण होता है।
उन्होंने कहा कि गोवर्धन गिरिराज का पूजन कर भगवान श्री कृष्ण ने पर्यावरण की रक्षा का संदेश देते हुए हमें प्रकृति से जोड़ा। हमारा शरीर जीवन पंचतत्व से बना है। यह जीवन तभी बचेगा जब हम पर्यावरण के प्रति सचेत रहेंगे। प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म है यदि हम इसका अनादर प्रतिरोध करेंगे तो हमें हानि उठानी ही पड़ेगी। इस दौरान कथावाचिका किरण भारती,संत सोखा बाबा,बबुआ जी सरकार, आचार्य संतोष द्विवेदी, संजय सिंह गया प्रसाद,अखिलेश पाण्डेय,राजेश पटेल,संदीप सिंह इत्यादि मौजूद थे।