उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मे वित्तीय अनियमितताएं व्यापक स्तर पर
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
गढ़मुक्तेश्वर – हापुर, मेरठ मैं स्थित कमर्शियल वक़्फ प्रॉपर्टीज (39 दुकाने) के राजस्व के वसूली मे अनियमितता सामने आई है, गौरतलब बात यह है कि वक़्फ नंबर 04, 465 व् 298 वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में दर्ज हैं
उक़्त वक्फ प्रॉपर्टी के मुतावली के द्वारा 2013 – 16 ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में रेंटल रकम जमा की गई। लेकिन नए मुतवली अरकान चौधरी द्वारा 2016 – 2019 मे कोई रकम नहीं जमा की गई ।
2019 से 2023 तक भी कोई रकम वक्फ बोर्ड के खजाने में जमा नहीं की गई।
पूर्व में मूतवल्ली अरकान चौधरी और उसके अजीज रिश्तेदारों द्वारा अनाधिकृत ईदगाह वह दुकानों को कब्जा करने को लेकर आपसी विवाद के वजह से अभी तक कोई कमेटी नहीं बन सकी ।
इस बीच शिकायतों और उसके बाद जांच पड़ताल का दौर जारी रहा जिसमें अरकान चौधरी और दूसरे ग्रुप के आरोप-प्रत्यारोप ने वक्फ के आमदमी का नुकसान के साथ-साथ अनाधिकृत कब्जा भी मौके पर कर लिया गया ।
कुछ जिलों में जैसे ग्रेटर नोएडा , बनारस , भदोही, बलिया और बुलंदशहर तक तमाम ऐसे मामला प्रकाश में आए हैं जिसमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की कीमती प्रॉपर्टीज माफियाओं और बोर्ड के मिलीभगत से बेच दी गई या अनधिकृत कब्जा कर लिया गया। जब कोई यह मामला लेकर वक़्फ बोर्ड के बोर्ड कार्यालय यानी दफ्तर में आता है तो वक़्फ बोर्ड के कर्मचारियों और मुख्य कार्यपालक अधिकारी के लचर रवैया से फरियादी हताश और परेशान होकर वापस चला जाता है।
पिछले कुछ सालों में धारा 54 या अनाधिकृत कब्जा मुक्त कार्रवाई कराने के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं
वक़्फ अधिनियम 1995 की धारा 101, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मेंबर व प्रत्येक अधिकारी के अहम ड्यूटी का हिस्सा है अगर उक्त कार्यों, कर्तव्य का निर्वहन नहीं करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।
वकफ वेलफेयर फोरम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक में इस अहम मुद्दे पर चर्चा की गई । कानूनी सलाह मशवरे के साथ सरकार और न्यायपालिका का रास्ता अपनाया जा सकता है जिसे प्रदेश की बेशकीमती वक़्फ संपत्तियों की हिफाजत की जा सके।