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हिजड़ों को पैदा कौन करता है? भाई ने मांगी फांसी, रील से कहीं अधिक दर्दनाक है गौरी सावंत की रियल लाइफ स्टोरी

हिजड़ों को पैदा कौन करता है? भाई ने मांगी फांसी, रील से कहीं अधिक दर्दनाक है गौरी सावंत की रियल लाइफ स्टोरी

वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क

ट्रांसजेंडर सोशल वर्कर गौरी सावंत की जिंदगी पर बनी वेब सीरीज “ताली” हाल ही में ओटीटी पर रिलीज हुई है। इस सीरीज में अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने गौरी सावंत का किरदार निभाया है। सीरीज में गौरी सावंत के बचपन, संघर्ष और ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई को दिखाया गया है।

गौरी सावंत का जन्म 2 जुलाई, 1979 को पुणे के एक मराठी परिवार में हुआ था। उनके जन्म के समय डॉक्टर ने उन्हें लड़का बताया था और उनका नाम गणेश नंदन रखा गया था। बचपन से ही गौरी को अपनी लैंगिक पहचान को लेकर परेशानी थी। वे खुद को लड़का नहीं बल्कि लड़की महसूस करती थीं।

गौरी के परिवार ने भी उनके इस व्यवहार को लेकर उन्हें परेशान किया। उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया और भाई ने उन्हें फांसी देने की मांग की। गौरी ने अपने परिवार से दूर होकर ट्रांसजेंडर समुदाय में शामिल हो गईं।

गौरी ने ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने ट्रांसजेंडर को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रांसजेंडर को कानूनी मान्यता दी।

गौरी सावंत आज एक सफल ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता हैं। वे ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए काम करती हैं और उन्हें समाज में सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।

विस्तार:

गौरी सावंत का बचपन बहुत ही कठिन रहा। उन्हें अपने परिवार से भी तिरस्कार का सामना करना पड़ा। उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया और भाई ने उन्हें फांसी देने की मांग की। गौरी ने अपने परिवार से दूर होकर ट्रांसजेंडर समुदाय में शामिल हो गईं।

ट्रांसजेंडर समुदाय में भी गौरी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया जाता था। उन्हें अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता था।

गौरी ने ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने ट्रांसजेंडर को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रांसजेंडर को कानूनी मान्यता दी।

गौरी सावंत आज एक सफल ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता हैं। वे ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए काम करती हैं और उन्हें समाज में सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।

गौरी सावंत की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है। यह कहानी हमें बताती है कि अगर हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

गौरी सावंत की कहानी हमें यह भी बताती है कि समाज में अभी भी ट्रांसजेंडर के प्रति बहुत भेदभाव है। हमें इस भेदभाव को खत्म करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। हम सभी को ट्रांसजेंडर को समान अधिकार और सम्मान देने के लिए आगे आना चाहिए।

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