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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा महिला के दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर पांच हजार जुर्माना लगा दिया है. कोर्ट ने महिला को सुरक्षा देने से भी इंकार कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने एक शादीशुदा महिला के दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर पांच हजार जुर्माना लगा दिया है. कोर्ट ने महिला को सुरक्षा देने से भी इंकार कर दिया है.

वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क

इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला शुक्रवार को काफी चर्चा में रहा. कोर्ट का फैसला शादीशुदा महिला के दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर आया है. जिसमें कोर्ट ने लिवइन में रहने वाली महिला और उसके प्रेमी पर लगाया पांच हजार का जुर्माना लगा दिया. वहीं कोर्ट ने उसे अकारण संरक्षण देने से भी इंकार कर दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका अवैध संबंधों पर हाईकोर्ट की मुहर लगवाने के अलावा कुछ नहीं है. कोर्ट ने याचिकार्ता महिला और उसके लिव इन पार्टनर पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. याचिका की याचीक सुनीता देवी की ओर से ये याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि देश संविधान से चलता है.

  1. कोर्ट ने कहा कि लिव इन की अनुमति है, लेकिन याचियों के बारे में नहीं कहा जा सकता कि वे पति-पत्नी हैं. वे विविध सामाजिक नैतिकता के विपरीत लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं. हालांकि कोर्ट समान लिंग के लोगों के साथ रहने के अधिकार पर विचार करती है. लेकिन लिव इन को भारतीय समाज स्वीकार नहीं करता है. इसलिए कोर्ट अवैधानिकता की अनुमति नहीं दे सकती है.
    बताया जा रहा है कि याची ने पति का घर छोड़ दिया है और उसके बाद बच्चे लिव इन पार्टनर के साथ रहते हुए दोनों का एक बच्चा भी हुआ है. कोर्ट ने कहा पति अपने दोस्तों से संबंध बनाने को कहता है. वह दूसरे के साथ रह रही है, पुलिस और पति पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाया है. लेकिन याची ने पुलिस से शिकायत दर्ज नहीं कराई. कोर्ट ने कहा कि वह नियमानुसार पुलिस से शिकायत कर सकती है.

 

 

 

 

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