बिहार में जल्द आ सकता है पेयजल संकट, पाताल लोक पहुंचा पानी।
लगातार भूजल का स्तर नीचे गिरने से आ सकता है संकट।
कहा जाता है की “जल ही जीवन है” जल के बिना जीव जंतु पेड़ पौधे सभी का अस्तित्व खतरे से खाली नही है। ऐसे में धरती से जल की समाप्ति की कल्पना मात्र से ही रोम रोम तक कांप उठते है।
लेकिन ये बिल्कुल सच है बिहार में भूजल का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। हालात यह है कि पिछले वर्ष यानी 2022 की तुलना में 2023 में भूजल नौ मीटर से अधिक नीचे जा चुका है। पूरे प्रदेश में औसतन 5-6 मीटर भूजल नीचे गया है। इसके कारण पेयजल से लेकर सिंचाई में परेशानी हो रही है। छोटी छोटी नदियां लगातार सूख रही हैं, जबकि बड़े-बड़े जलाशयों से भी पानी गायब हो रहा है। दक्षिण बिहार की स्थिति और खराब हुई है। जिस तरह से भूजल नीचे जा रहा है, वह आने वाले समय के लिए खतरनाक संकेत है।
बड़ी संख्या में वे जलस्रोत भी सूख सकते हैं, जिनमें अभी पानी है। लघु जल संसाधन विभाग ने सभी जिलों से भूजल के आंकड़े संग्रहित किये हैं। इनमें जुलाई के जो आंकड़े हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। सभी जिलों में भूजल स्तर नीचे गया है। 374 प्रखंडों के आंकड़े आए हैं, जिनमें 368 का भूजल स्तर नीचे गया है। सामान्यतया इन प्रखंडों में 3 मीटर से 9.50 मीटर तक पानी नीचे गया है। हालांकि अधिसंख्य जिलों में भूजल 6-7 मीटर तक नीचे गया है।
सीमांचल और कोसी क्षेत्रों में भी जलस्तर गिरा है, लेकिन यहां अन्य जिलों की अपेक्षा कम गिरावट है। भूजल स्तर नीचे जाने से राजकीय नलकूपों की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। चापाकल सूख रहे हैं। तालाब-आहर-पइन से भी पानी इसी वजह से गायब हो रहे हैं। भूजल का स्तर ठीक-ठाक रहता तो इन सबमें पानी की मात्रा भी ठीक-ठाक रहती। लेकिन जब भूजल ही नीचे जा रहा है।
जल विशेष आरके सिन्हा ने कहा कि भूगर्भ जल तेजी से नीचे जा रहा है। इसका सबसे बड़ी कारण यह है कि भूजल का रिचार्ज नहीं हो रहा है जबकि हम लगातार उसका दोहन कर रहे हैं। यह बैंकिंग सिस्टम की तरह काम करता है। यदि हम अपने खाते से पैसा निकालते रहे और जमा नहीं कर रहे तो क्या होगा? यही हाल भूगर्भ जल के साथ है। लगातार दोहन से इससे पानी तेजी से नीचे जा रहा है। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होगा कि हमें भविष्य में पीने का पानी तक नहीं मिलेगा। यही नहीं सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होगा। नदियां सूख जाएंगी। जलाशय से पानी गायब होगा और ताल-तलैये, आहर-पईन सब धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।