आयुष्मान कार्ड से लाभ में बाधा: विभागीय शिथिलता के कारण मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज
आयुष्मान कार्ड से लाभ में बाधा: विभागीय शिथिलता के कारण मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
मोतिहारी: केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना, आयुष्मान भारत, जिले में विभागीय उदासीनता के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है। सात वर्षों में मात्र 2023 मरीजों को सदर अस्पताल में इलाज मिला है, जबकि जिले में लगभग दस लाख आयुष्मान कार्ड धारक हैं। आयुष्मान योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देना है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में इलाज की सीमित सुविधाएं और निजी नर्सिंग होम के चयन में देरी के कारण यह योजना अपेक्षित लाभ नहीं पहुंचा पा रही है।
जिले में उपलब्ध नर्सिंग होम की संख्या भी समस्या का प्रमुख कारण है। सात साल में सिर्फ 10 नर्सिंग होम को इस योजना के तहत जोड़ा गया है, जबकि इन नर्सिंग होम में भी सभी प्रकार के इलाज की सुविधा नहीं है। जिसके चलते कार्डधारक को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। सरकारी अस्पताल में गंभीर बीमारियों जैसे हड्डी का ऑपरेशन, हार्ट सर्जरी, गॉल ब्लैडर की पथरी और आंखों के ऑपरेशन की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
कार्ड निर्माण में भी सुस्ती
जिले में 45 लाख आयुष्मान कार्ड बनने थे, लेकिन अब तक केवल 10 लाख कार्ड ही बन पाए हैं। पंचायत स्तर पर डीलर की दुकान पर कार्ड बनाने की सुविधा है, फिर भी लोगों में कार्ड बनवाने को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि नर्सिंग होम के चयन की धीमी प्रक्रिया, जिससे लोग निजी अस्पतालों में इलाज करवाने को मजबूर हैं।
अधिकारियों का पक्ष
सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा है कि जिले में अधिक से अधिक नर्सिंग होम को आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए, ताकि लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वह डीएम से बात करेंगे और प्रयास करेंगे कि जल्द से जल्द नए नर्सिंग होम को इस योजना के तहत जोड़ा जाए।
निष्कर्ष
आयुष्मान योजना का लाभ जिले के लोगों को पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को नर्सिंग होम के चयन और इलाज की सुविधाओं में सुधार करने की जरूरत है ताकि गरीब तबके के लोग इस योजना का पूरा लाभ उठा सकें।