सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प बनेगा बायोप्लास्ट, सिवान के उद्यमी ने कैरी बैग बनाने का कारखाना लगाया वर्तमान भारत स्टेट डेस्क सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक जुलाई से प्रतिबंध लगने के बाद इसके विकल्प पर नजर है। सिंगल यूज प्लास्टिक न तो रीसाइकिल होता है, न ही मिट्टी में मिलने के बाद गलता है, इसलिए ऐसे बायो प्लास्टिक पर नजर है जो जमीन में जाने के बाद खाद बन जाए और पर्यावरण को नुकसान न हो। इस दिशा में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने कदम बढ़ाया है। साथ ही ऐसी यूनिट की स्थापना में भी बिहार के उद्यमी आगे आए हैं। शुरुआत में कहा गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प बायोडिग्रेडबल मैटेरियल है। हालांकि यह मैटेरियल देश में नहीं है इसलिए उद्यमियों ने इसे आजमाने के लिए जर्मनी से आयात किया। इससे प्लास्टिक के कप, ग्लास बनाए गए लेकिन ये चार गुना महंगे साबित हुए। इसलिए उद्यमियों ने इसे नकार दिया। दोबार इसे किसी उद्यमी ने नहीं मंगाया। एक और विकल्प पर उद्यमियों की नजर है। रक्षा मंत्रालय अंतर्गत हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ की ओर से वैज्ञानिक के. वीरा ब्रह्मम के नेतृत्व में बायो कंपोस्टेबल ग्रेनयूल्स विकसित किया गया है। मक्का, आलू, आलू के छिलके, घास आदि से बना यह दाना कंपोस्टेबल प्लास्टिक है। यानी 90 दिनों में मिट्टी में मिलकर यह यूरिया खाद बन जाता है। बिहार थर्मो फार्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल डीआरडीओ का ट्रायल प्रोडक्शन देखने गया था। प्रेम कुमार ने कहा कि अभी डीआरडीओ हैदराबाद की ही इकोलास्टिक प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सहयोग से इस दाना से कैरी बैग बना रही है। कटलरी आइटम के लिए दाना बनाने पर यहां शोध चल रहा है। कहा कि डीआरडीओ के निदेशक डाक्टर एम रामा मनोहरबाबू ने कहा कि नतीजा जल्द आने की उम्मीद है। पटना स्थित सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान के निदेशक प्रदीप कुमार ने कहा कि स्टार्च से बायो प्लास्टिक दाना बनाने की तकनीक अगर कोई उद्यमी लेना चाहता है तो उसे डीआरडीओ से संपर्क करा मुफ्त दिला दिया जायेगा | इधर सीवान में बायोप्लास्ट से कैरी बैग बनाने का कारखाना बन कर तैयार है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से स्वीकृति मिलते ही यहां उत्पादन शुरू हो जाएगा। प्रोपराइटर विवेक कुमार ने कहा कि मैंने अहमदाबाद स्थित एक कंपनी से तकनीक, मशीन व स्टार्च बेस्ड बायोप्लास्ट दाना लिया है। यूनिट लगाने में करीब 60 लाख रुपये का निवेश हुआ है। कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक की तरह ही मेरा बायो प्लास्टिक उत्पाद सस्ता होगा, और मिट्टी में मिलने के बाद यह खाद बन जाएगा।