बिहार में इस बार मानसून बिल्कुल ही धोखा दे दिया है। जुलाई खत्म होने जा रहा है पर मानसून की बारिश नही हुई है। बारिश कम होने से खेती करने में काफी परेशानी हो रही है। सूखे जैसे हालात बनते जा रहे हैं। अगर बिहार सुखाड़ की चपेट में आ जाता है तो ऐसे स्थिति में सरकार इस समस्या के सामने घुटने टेक सकती है।
बता दें की राज्य के करीब 62% सरकारी नलकूप खराब हैं। पदाधिकारियों द्वारा सरकारी नलकूपों के खराब होने के कई कारण बताये जा रहे हैं। इसके अनुसार कुछ नलकूपों के उपकरण गायब हैं। कुछ नलकूपों के पंप गिर गये हैं। वहीं कई के मोटर खराब पड़ें हुए हैं। ऐसे में मरम्मत के अभाव में नलकूपों के खराब होने से सिंचाई सुविधा नहीं मिल पा रही है। राज्य के इन सभी सरकारी नलकूपों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायतों को ही दी गयी है। लेकिन पंचायत स्तर पर इसकी कोई सुध लेने भी नही आया है।
सूत्रों के अनुसार राज्य में सरकारी नलकूप करीब 10 हजार 240 हैं। 21 फरवरी 2022 तक 6376 नलकूप खराब थे। केवल 3864 नलकूपों से सिंचाई का काम हो रहा था। हालांकि अब खराब नलकूपों को जल्द ठीक करने के लिए लघु जल संसाधन विभाग के स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई है। अगले दो-तीन महीने में अधिकतर को ठीक कर देने का दावा किया जा रहा है।