लोक गायिका शारदा सिन्हा को बड़ी राहत, सेवा अवैध करार देने वाला सरकारी आदेश निरस्त
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
पटना, बिहार की जानी मानी लोकगायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने शारदा सिन्हा सहित 15 अन्य रीडरों की सेवा को अवैध करार देने और पेंशन एवं अन्य बकाये राशि के भुगतान नहीं देने के सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया। अदालत के इस फैसले के बाद इन सभी लोगों की सेवा बनी रहेगी।
दरअसल, शारदा सिन्हा और अन्य रीडरों को 1996 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में रीडर के पद पर प्रोन्नति दी गई थी। लेकिन बाद में विश्वविद्यालय ने इन सभी की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए पेंशन एवं अन्य बकाये राशि का भुगतान नहीं करने का आदेश जारी किया था।
शारदा सिन्हा और अन्य रीडरों ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार ने इन लोगों की नियुक्ति को अवैध करार देने के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिया है। सरकार ने सिर्फ यह कहा है कि इन लोगों की नियुक्ति के लिए कोई नियमावली नहीं थी। लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि नियमावली न होने से इन लोगों की नियुक्ति अवैध नहीं हो जाती।
हाई कोर्ट के इस फैसले से शारदा सिन्हा और अन्य रीडरों को बड़ी राहत मिली है। अब इन लोगों की सेवा बनी रहेगी और उन्हें पेंशन एवं अन्य बकाये राशि भी मिल सकेगी।
फैसले का स्वागत
शारदा सिन्हा के फैसले का स्वागत किया गया है। लोगों का कहना है कि यह फैसला न्याय की जीत है। लोगों का कहना है कि सरकार को ऐसे फैसले नहीं लेने चाहिए जो लोगों के अधिकारों का हनन करते हैं।