नई शराब नीति पर विवाद के बीच दिल्ली सरकार ने अगले छह महीने के लिए पुरानी शराब नीति को लागू करने का निर्णय लिया है। 2021-22 की शराब नीति कल यानि 31 जुलाई को समाप्त हो रही है और सरकार ने अभी तक 2022-23 की नीति का मसौदा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को नहीं भेजा है। सरकार पर नई शराब नीति के जरिए भ्रष्टाचार करने का आरोप लग रहा है।
क्या है दिल्ली की नई शराब नीति?
अपना राजस्व बढ़ाने और शराब माफिया और नकली शराब पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसके जरिए सरकार ने अपनी सभी ठेके बंद कर दिए थे और अभी शहर में केवल शराब के निजी ठेके और दुकानें चलती हैं। इन दुकानों के लिए दोबारा से नए लाइसेंस जारी किए गए थे। इसके अलावा सरकार ने उन्हें डिस्काउंट पर शराब बेचने की अनुमति भी दी थी।
बिना MCD की अनुमति के दुकान खोलने की दी थी अनुमति
दिल्ली सरकार ने नई नीति में दिल्ली नगर निगम (MCD) के विरोध के कारण कुछ इलाकों में दुकानें खुलने में परेशानी होने की लाइसेंसधारकों की समस्या को भी सुलझाया था। सरकार ने उन्हें बिना अनुमति के पुनर्विकास क्षेत्रों में दुकान खोलने की अनुमति दी थी।
क्यों विवादों में आई नई शराब नीति?
दिल्ली सरकार की यह नीति पहले ही दिन से किसी न किसी कारण से विवादों में बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस ने सरकार पर शराब को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि नई नीति के बाद स्कूल, मंदिरों और आवासीय इलाकों के पास शराब के ठेके खोले गए हैं। दोनों पार्टियों ने आबकारी विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर नई नीति के जरिए भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगाया है।
भ्रष्टाचार के क्या आरोप लगे हैं?
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 8 जुलाई को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें सिसोदिया पर रिश्वत और कमीशन लेकर शराब की दुकान का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने दावा किया कि इस पैसे का पंजाब चुनाव में इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि नीति में कोई भी बदलाव करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी ली जाती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने ऐसा नहीं किया।
उपराज्यपाल ने की है CBI जांच की सिफारिश
मुख्य सचिव की इस रिपोर्ट के बाद पिछले हफ्ते उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की थी और भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार करते हुए कहा था कि उपराज्यपाल झूठे आरोप लगा रहे हैं और AAP के नेता जेल से नहीं डरते हैं। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी मामले की जांच कर रही है।
दिल्ली सरकार की कमाई में शराब की बिक्री का एक अहम योगदान है और यह उसके राजस्व का एक प्रमुख स्त्रोत है। नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को हर साल 3,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान था। इसके अलावा उत्पाद शुल्क के रूप में भी उसकी 10,000 करोड़ रुपये की कमाई होती। दिल्ली को केंद्रीय टैक्स में से बहुत कम हिस्सा मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक, उसे केंद्रीय टैक्स से मात्र 325 करोड़ रुपये मिलते हैं।