यूपी

परमात्मा का अंश है जीव इसलिए है अपार शक्ति–कथावाचक धनंजय दास जी  महाराज 

श्रीकृष्ण और रुक्मणी विवाह के प्रसंग पर पांडाल में श्रद्धालुओं ने बरसाए फूल

परमात्मा का अंश है जीव इसलिए है अपार शक्ति–कथावाचक धनंजय दास जी  महाराज

वर्तमान  भारत स्टेट डेस्क 

कौशाम्बी। मंझनपुर के मडूकी टेनशाह आलमा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ। जिसे बड़े धूमधाम से मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक धनंजय दास महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।

छठवें दिन की कथा के दौरान धनंजय दास महाराज ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। भागवत कथा के छठवें दिन कथा स्थल पर रूकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। जीव परमात्मा का अंश है

कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत विवरण दिया। रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मणी के भाई रुक्मणी ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था, लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगे। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है। द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएगी। अंत भगवान श्रीद्वारकाधीशजी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button