22 साल बाद भी याद है वो खौफनाक दिन, जब संसद पर हुआ था आतंकी हमला
22 साल बाद भी याद है वो खौफनाक दिन, जब संसद पर हुआ था आतंकी हमला
वर्तमान भारत, सेंट्रल डेस्क
नई दिल्ली। आज से ठीक 22 साल पहले, 13 दिसंबर 2001 को भारत की संसद पर आतंकवादियों ने हमला किया था। इस हमले में सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोगों की जान चली गई थी और 18 लोग घायल हुए थे। यह हमला भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन था।
हमले के दिन, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सत्र स्थगित थे। लेकिन संसद में कई मंत्री और सांसद मौजूद थे। हमले की शुरुआत तब हुई जब पांच आतंकवादी एक सफेद एम्बेसडर कार से संसद भवन में दाखिल हुए। इन आतंकियों में लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य शामिल थे।
आतंकियों ने संसद भवन के अंदर घुसकर गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने कई सुरक्षाकर्मियों और सांसदों को मार डाला। आतंकियों ने संसद भवन के अंदर कई घंटों तक कब्जा बनाए रखा।
आखिरकार, सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया। इस हमले में सुरक्षा बलों के चार जवान भी शहीद हो गए।
इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए।
आज, इस हमले की बरसी पर देश भर में लोगों ने शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की बरसी पर ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि हम इस हमले में शहीद हुए लोगों को कभी नहीं भूलेंगे।
हमले के बाद की जांच
संसद पर हुए हमले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था। SIT ने अपनी जांच में पाया कि इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-ताइबा का सरगना हाफिज सईद था। SIT ने यह भी पाया कि इस हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी हाथ था।
हमले के बाद की सुरक्षा व्यवस्था
संसद पर हुए हमले के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था में कई बदलाव किए। संसद भवन की सुरक्षा को और भी कड़ा किया गया। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ भी कड़े कदम उठाए।
संसद पर हुए हमले ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नई चेतना दी। इस हमले ने भारत को यह भी सिखाया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।