अध्यात्म

छठ पूजा: आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व

छठ पूजा: आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व

वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क 

भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मुख्य रूप से मनाया जाने वाला छठ पूजा, श्रद्धा, आस्था, और सूर्य उपासना का महापर्व है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है और इस वर्ष छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हुई है। छठ महापर्व विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मइया की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

पर्व की मुख्य विशेषताएँ:

छठ पूजा में चार दिन तक कठिन व्रत और नियमों का पालन किया जाता है। पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है, जिसमें व्रतधारी पवित्रता के साथ शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन खरना का आयोजन होता है, जिसमें बिना नमक के भोजन और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।

आस्था का प्रतीक:

छठ पूजा में व्रतधारी विशेष सफाई और पवित्रता का पालन करते हैं और अपने हाथों से ही प्रसाद तैयार करते हैं। पूजा सामग्री में ठेकुआ, केला, नारियल और गन्ना जैसे शुद्ध सामग्रियाँ होती हैं, जिन्हें भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है। छठ व्रत का नियम कठिन होने के बावजूद, श्रद्धालु इस व्रत को बड़ी आस्था और समर्पण से निभाते हैं। व्रत करने वाले लोगों का मानना है कि इससे संतान सुख, परिवार में सुख-समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

प्राकृतिक सौंदर्य के बीच पूजन:

छठ पूजा में विशेष महत्व जल स्रोतों का है, जैसे कि नदी, तालाब या पोखर के किनारे पर पूजा की जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता का संदेश भी देता है।

छठ पूजा के इस महापर्व ने समाज में एकता, प्रेम और सेवा भाव का संदेश फैलाया है, और इसे मनाने वाले लोग पूरे समर्पण और उल्लास के साथ इस पर्व का स्वागत करते हैं।

 

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