डूबते सूर्य को छठ व्रतियों ने दिया अर्घ्य, आज उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा महापर्व
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
सिवान, बिहार – आस्था का प्रतीक और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा का तीसरा दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर छठ व्रतियों ने विभिन्न घाटों पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। पूरे प्रखण्ड में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा, विशेष रूप से बनकटवा प्रखण्ड के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई।
व्रतियों ने हाथों में प्रसाद से भरे दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की आराधना की और छठी मइया से अपने परिवार एवं समाज के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। महापर्व की विधि अनुसार आज प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा। ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा के दौरान संध्या समय सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आयु की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी विश्वास है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आर्थिक सम्पन्नता आती है।
अर्घ्य देने की परंपराएँ और नियम
संध्या अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, गन्ना, मूली और कंदमूल रखकर सूर्य को जल अर्पित किया गया। एक लोटे में जल लेकर उसमें कच्चे दूध की कुछ बूंदे मिलाई जाती हैं। जल में लाल चंदन, चावल, लाल फूल और कुश डालकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
प्रातःकालीन अर्घ्य का महत्व
जानकारों के अनुसार प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से मन की शांति, उन्नति और आयु की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जल में चंदन, लाल फूल और इत्र मिलाकर अर्घ्य देने से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से मान्यता है कि कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
विधि-विधान से हुई तीसरे दिन की पूजा
महापर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को व्रतियों ने छठ प्रसाद का विशेष आयोजन किया। इस अवसर पर ठेकुआ और चावल के लड्डू सहित अन्य प्रसाद तैयार किए गए। संध्या समय पूरे विधि-विधान के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य सजाकर भक्त नदी और तालाब के घाटों पर एकत्र हुए। दूध और जल से सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया और रातभर छठ मइया के भजन और गीत गाए गए।
इस प्रकार, चार दिवसीय इस महापर्व का अंतिम चरण आज प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा, जिसके साथ छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं के लिए मंगल कामना की जाएगी।