घर में खाने को रुपए नहीं और एंबुलेंस वाले शव लाने के लिए मांग रहे 45 हजार
‘घर में खाने को रुपए नहीं और एंबुलेंस वाले शव लाने के लिए मांग रहे 45 हजार’
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
मोतिहारी ओडिशा के बालासोर रेल हादसा में 288 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 747 यात्री घायल हो गए. मृतकों में एक युवक बिहार के मोतिहारी का भी था. मृतक राजा पटेल की शादी एक साल पहले हुई थी. उसका एक बेटा भी है. माता-पिता इस उम्मीद से उसे केरल के लिए विदा किए थे कि कमाकर लौटेगा तो उनके परिवार की दशा सुधरेगी. राजा पटेल केरल में पेंटिग का काम करने के लिए दोस्तों के साथ निकला था. लेकिन उसे क्या पता था कि वो हादसे का शिकार हो जाएगा.बेटा के मौत की खबर चिखली गांव में पहुंचती है. ये सुनकर पिता की छाती फटी जाती है. मां दहाड़ मारकर रोने लगती है. बीवी बेसुध होकर गिर पड़ती है. पूरे गांव में मातम पसर जाता है. रुंधे हुए कंठ से पिता बताता है कि बेटे के चले जाने से परिवार पर कैसा संकट छा रहा है. घर में कमाने इकलौता लाल चला गया. छोटा बेटा अभी काफी छोटा है. बड़े बेटे की साल भर पहले शादी की थी उससे एक बेटा है. अब हम सबको कौन देखेगा? मां भी रोते हुई कहती है कि अब उसे कौन पूछेगा?जैसे गांव में हादसे की खबर पहुंची कोहराम मच गया. राजा पटेल की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था. पिता भुवन पटेल अपने जवान बेटे की मौत की खबर को सुनकर बेसुध थे. ऊपर से शव को लाने के लिए 45 हजार का इंतजाम भी करना था. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के रवैये से परिवार क्षुब्ध था. पिता का कहना था कि घर में खाने के लिए पैसे नहीं हैं हम 45 हजार रुपए कहां से लाएं. सरकार भी मदद नहीं कर रही है.बता दें कि अपने दोस्तों के साथ राजा पटेल भी मोतिहारी के रामगढ़वा प्रखंड से मिथिला एक्सप्रेस पर सवार होकर पश्चिम बंगाल के हावड़ा पहुंचा था. स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस लगी हुई थी. सभी उसी ट्रेन में सवार हुए. गांव के ही संजय पासवान, विजय पासवान, विशाल पासवान, उमेश पासवान, सूरज राउत, गौरी शंकर गिरी, अजीत कुमार पटेल, मितेश कुमार और राजा पटेल एक ही बोगी में सवार थे. पूरे रास्ते हंसी ठिठोली करते हुए सफर कट रहा था. घर की यादों को पीछे छोड़ते हुए सभी ओडिशा के बालासोर तक पहुंचे ही थी कि तभी ट्रेन हादसे की शिकार हो गई. सबकी आंखों के सामने घोर अंधकार छा जाता है