बिहार में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण लागू, राज्यपाल ने दी मंज़ूरी
वर्तमान भारत, स्टेट डेस्क
पटना: बिहार में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सरकार के प्रस्ताव पर मंगलवार को मुहर लगा दी है। दरअसल, विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पास हुए दोनों आरक्षण विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी दी है।
आरक्षण विधेयक के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लिए 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 2 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण होगा।
सरकार का कहना है कि यह आरक्षण काफ़ी समय से मांगी जा रही थी। इससे राज्य के पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर अवसर मिलेंगे।
विपक्षी दलों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह आरक्षण की सीमा को पार करने वाला है। इससे राज्य में सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा होगा।
आरक्षण के विरोध में प्रदर्शन
आरक्षण के विरोध में मंगलवार को बिहार के कई शहरों में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह आरक्षण की सीमा को पार करने वाला है। इससे राज्य में सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा होगा।
पटना में प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल के आवास के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया है। इस फैसले से राज्य में भेदभाव और असंतोष बढ़ेगा।
राज्य के अन्य शहरों में भी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए।
क्या है आरक्षण की सीमा?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक है। हालांकि, 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। इस तरह से अब तक बिहार में सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की सीमा 60 प्रतिशत थी।
बिहार सरकार ने अब इस सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है।