कोरोना

कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1 भारत में भी पहुंचा

केरल में मिले 1,144 नए मामले, 1 की मौत

कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1 भारत में भी पहुंचा

वर्तमान भारत, सेंट्रल डेस्क

 कोरोना वायरस का एक नया वैरिएंट जेएन.1 भारत में भी पहुंच गया है। केरल में इस वैरिएंट का एक मामला सामने आया है। इसके साथ ही केरल में कोरोना के नए मामलों में भी तेजी आई है। राज्य में पिछले 24 घंटों में 1,144 नए मामले सामने आए हैं, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जेएन.1 वैरिएंट को “संभावित रूप से चिंताजनक” (VOC) के रूप में वर्गीकृत किया है। इस वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन पाए गए हैं, जो इसे अधिक संक्रामक और प्रतिरोधी बना सकते हैं।

भारत में जेएन.1 वैरिएंट के मामले अभी तक कम हैं, लेकिन इसके बढ़ने की आशंका है। इसलिए, लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और टीकाकरण करवाना जरूरी है।

जेएन.1 वैरिएंट कितना खतरनाक?

जेएन.1 वैरिएंट के बारे में अभी भी सीमित जानकारी उपलब्ध है। हालांकि, प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह वैरिएंट ओमिक्रॉन के अन्य सबवेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है। इसके अलावा, इस वैरिएंट में एंटीबॉडी से बचने की क्षमता भी अधिक हो सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जेएन.1 वैरिएंट के बढ़ने से कोरोना महामारी की नई लहर आ सकती है। इसलिए, लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और टीकाकरण करवाना चाहिए।

क्या टीकाकरण जेएन.1 वैरिएंट से बचा सकता है?

टीकाकरण जेएन.1 वैरिएंट से पूरी तरह से बचा नहीं सकता है, लेकिन यह गंभीर बीमारी और मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है। इसलिए, सभी लोगों को टीकाकरण करवाना चाहिए, भले ही उन्हें पहले से ही कोरोना हो चुका हो।

क्या कोरोना के लक्षण जेएन.1 वैरिएंट में अलग होते हैं?

कोरोना के लक्षण जेएन.1 वैरिएंट में ओमिक्रॉन के अन्य सबवेरिएंट की तुलना में अलग नहीं होते हैं। इनमें बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। हालांकि, कुछ मामलों में सिरदर्द, गले में खराश और दस्त भी हो सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जेएन.1 वैरिएंट के मामले

जेएन.1 वैरिएंट सबसे पहले लक्जमबर्ग में पाया गया था। इसके बाद यह यूके, आइसलैंड, फ्रांस और अमेरिका सहित कई देशों में फैल चुका है। दुनिया भर में जेएन.1 वैरिएंट के अब तक लगभग 1,000 मामले सामने आए हैं।

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